दरवाजे से बाहर जब भी कदम रखता हूँ
तो चौखट
की तमाम मर्यादाएं
रास्ता रोक लेती है,
मैं अपनी जिद्द पर अड़ा रहकर
बाहर की दुनिया
से वाकिफ़ होना चाहता हूँ
दरवाजे से बाहर जब भी कदम रखता हूँ
तो चौखट
की तमाम मर्यादाएं
रास्ता रोक लेती है,
मैं अपनी जिद्द पर अड़ा रहकर
बाहर की दुनिया
से वाकिफ़ होना चाहता हूँ